कर्णवेध संस्कार (कर्णछेदन) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जिसे शुभ मुहूर्त में करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। वर्ष 2025 में कर्णवेध के लिए निम्नलिखित शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं:
जनवरी कर्णवेध मुहूर्त 2025
तिथि
दिन
कर्णवेध मुहूर्त
नक्षत्र
तिथि
2 जनवरी 2025
गुरुवार
07:45 – 10:18 बजे
श्रवण
द्वितीया
8 जनवरी 2025
बुधवार
04:18 – 06:33 बजे
अश्विनी
षष्ठी
11 जनवरी 2025
शनिवार
02:11 – 04:06 बजे
रोहिणी
नवमी
15 जनवरी 2025
बुधवार
07:46 – 12:20 बजे
पुष्य
त्रयोदशी
20 जनवरी 2025
सोमवार
07:45 – 09:08 बजे
हस्त
अमावस्या
30 जनवरी 2025
गुरुवार
07:45 – 08:28 बजे, 09:56 – 14:52 बजे
श्रवण
षष्ठी
फरवरी कर्णवेध मुहूर्त 2025
तिथि
दिन
कर्णवेध मुहूर्त
नक्षत्र
तिथि
8 फरवरी 2025
शनिवार
07:36 – 09:20 बजे
मृगशिरा
एकादशी
10 फरवरी 2025
सोमवार
07:38 – 09:13 बजे, 10:38 – 18:30 बजे
पुनर्वसु
त्रयोदशी
17 फरवरी 2025
सोमवार
08:45 – 13:41 बजे, 15:55 – 18:16 बजे
चित्रा
पंचमी
20 फरवरी 2025
गुरुवार
15:44 – 18:04 बजे
विशाखा
अष्टमी
26 फरवरी 2025
बुधवार
08:10 – 13:05 बजे
श्रवण
त्रयोदशी
मार्च कर्णवेध मुहूर्त 2025
तिथि
दिन
कर्णवेध मुहूर्त
नक्षत्र
तिथि
2 मार्च 2025
रविवार
10:54 – 17:25 बजे
उत्तराभाद्रपद
सप्तमी
15 मार्च 2025
शनिवार
10:03 – 11:59 बजे, 14:13 – 18:51 बजे
उत्तराफाल्गुनी
त्रयोदशी
16 मार्च 2025
रविवार
07:01 – 11:55 बजे, 14:09 – 18:47 बजे
हस्त
पूर्णिमा
20 मार्च 2025
गुरुवार
06:56 – 08:08 बजे, 09:43 – 16:14 बजे
अनुराधा
चतुर्थी
26 मार्च 2025
बुधवार
07:45 – 11:15 बजे, 13:30 – 18:08 बजे
धनिष्ठा
दशमी
30 मार्च 2025
रविवार
09:04 – 15:35 बजे
रेवती
चतुर्दशी
अप्रैल कर्णवेध मुहूर्त 2025
तिथि
दिन
कर्णवेध मुहूर्त
नक्षत्र
तिथि
3 अप्रैल 2025
गुरुवार
07:32 – 10:44 बजे, 12:58 – 18:28 बजे
रोहिणी
सप्तमी
5 अप्रैल 2025
शनिवार
08:40 – 12:51 बजे, 15:11 – 19:45 बजे
पुनर्वसु
नवमी
13 अप्रैल 2025
रविवार
07:02 – 12:19 बजे, 14:40 – 19:13 बजे
चित्रा
त्रयोदशी
21 अप्रैल 2025
सोमवार
14:08 – 18:42 बजे
उत्तराषाढ़ा
पंचमी
26 अप्रैल 2025
शनिवार
07:18 – 09:13 बजे
उत्तराभाद्रपद
दशमी
माह
तिथि
दिन
मुहूर्त (समय)
नक्षत्र
तिथि (चंद्र)
मई 2025
1 मई
गुरुवार
13:29 – 15:46
मृगशिरा
द्वितीया
2 मई
शुक्रवार
15:42 – 20:18
आर्द्रा
तृतीया
3 मई
शनिवार
07:06 – 13:21, 15:38 – 19:59
पुनर्वसु
चतुर्थी
9 मई
शुक्रवार
06:27 – 08:22, 10:37 – 17:31
हस्त
दशमी
10 मई
शनिवार
06:23 – 08:18, 10:33 – 19:46
चित्रा
एकादशी
24 मई
शनिवार
07:23 – 11:58, 14:16 – 18:51
रेवती
दशमी
31 मई
शनिवार
06:56 – 11:31, 13:48 – 18:24
पुष्य
सप्तमी
जून 2025
5 जून
गुरुवार
08:51 – 15:45
हस्त
त्रयोदशी
6 जून
शुक्रवार
08:47 – 15:41
हस्त
चतुर्दशी
7 जून
शनिवार
06:28 – 08:43
चित्रा
पूर्णिमा
16 जून
सोमवार
08:08 – 17:21
धनिष्ठा
पंचमी
21 जून
शनिवार
10:08 – 12:26, 14:42 – 18:25
अश्विनी
दशमी
27 जून
शुक्रवार
07:24 – 09:45, 12:02 – 18:56
पुनर्वसु
एकादशी
जुलाई 2025
2 जुलाई
बुधवार
11:42 – 13:59
उत्तरा फाल्गुनी
त्रयोदशी
3 जुलाई
गुरुवार
07:01 – 13:55
हस्त
चतुर्दशी
7 जुलाई
सोमवार
06:45 – 09:05, 11:23 – 18:17
अनुराधा
पूर्णिमा
12 जुलाई
शनिवार
07:06 – 13:19, 15:39 – 20:01
उत्तराषाढ़ा
दशमी
13 जुलाई
रविवार
07:22 – 13:15
श्रवण
एकादशी
17 जुलाई
गुरुवार
10:43 – 17:38
रेवती
पंचमी
18 जुलाई
शुक्रवार
07:17 – 10:39, 12:56 – 17:34
अश्विनी
षष्ठी
25 जुलाई
शुक्रवार
06:09 – 07:55, 10:12 – 17:06
पुष्य
द्वितीया
30 जुलाई
बुधवार
07:35 – 12:09, 14:28 – 18:51
हस्त
सप्तमी
31 जुलाई
गुरुवार
07:31 – 14:24, 16:43 – 18:47
चित्रा
अष्टमी
माह
तिथि
दिन
मुहूर्त (समय)
नक्षत्र
तिथि (चंद्र)
अगस्त 2025
1 अगस्त
शुक्रवार
07:27 – 14:20, 16:38 – 18:43
स्वाति
त्रयोदशी
6 अगस्त
बुधवार
06:41 – 08:26, 10:39 – 16:32
उत्तराषाढ़ा
अष्टमी
10 अगस्त
रविवार
07:12 – 12:58, 15:14 – 18:49
पूर्वभाद्रपद
द्वितीया
16 अगस्त
शनिवार
09:32 – 16:11
रोहिणी
अष्टमी
21 अगस्त
गुरुवार
07:48 – 10:08, 12:24 – 18:12
मघा
त्रयोदशी
27 अगस्त
बुधवार
06:38 – 08:21, 10:32 – 17:58
स्वाति
पंचमी
सितंबर 2025
2 सितंबर
मंगलवार
07:22 – 12:58, 15:14 – 18:42
उत्तराषाढ़ा
एकादशी
5 सितंबर
शुक्रवार
09:18 – 16:02
पूर्वभाद्रपद
द्वितीया
11 सितंबर
गुरुवार
07:38 – 10:12, 12:29 – 17:52
रोहिणी
अष्टमी
18 सितंबर
गुरुवार
06:57 – 09:08, 11:21 – 16:45
मघा
त्रयोदशी
24 सितंबर
बुधवार
07:31 – 12:10, 14:26 – 18:20
स्वाति
पंचमी
अक्टूबर 2025
1 अक्टूबर
बुधवार
06:52 – 08:39, 10:42 – 16:21
उत्तराषाढ़ा
एकादशी
7 अक्टूबर
मंगलवार
09:08 – 14:58, 16:14 – 18:38
पूर्वभाद्रपद
द्वितीया
13 अक्टूबर
सोमवार
07:23 – 10:11, 12:24 – 17:32
रोहिणी
अष्टमी
20 अक्टूबर
सोमवार
06:48 – 09:02, 11:18 – 16:28
मघा
त्रयोदशी
27 अक्टूबर
सोमवार
07:31 – 11:59, 14:14 – 18:06
स्वाति
पंचमी
नवंबर 2025
3 नवंबर
सोमवार
06:39 – 08:32, 10:37 – 16:12
उत्तराषाढ़ा
एकादशी
9 नवंबर
रविवार
09:06 – 14:52, 16:08 – 18:32
पूर्वभाद्रपद
द्वितीया
15 नवंबर
शनिवार
07:22 – 10:09, 12:22 – 17:20
रोहिणी
अष्टमी
21 नवंबर
शुक्रवार
06:48 – 09:01, 11:14 – 16:18
मघा
त्रयोदशी
28 नवंबर
शुक्रवार
07:30 – 11:56, 14:10 – 18:02
स्वाति
पंचमी
दिसंबर 2025
4 दिसंबर
गुरुवार
06:41 – 08:30, 10:33 – 16:06
उत्तराषाढ़ा
एकादशी
10 दिसंबर
बुधवार
09:04 – 14:48, 16:04 – 18:30
पूर्वभाद्रपद
द्वितीया
16 दिसंबर
मंगलवार
07:20 – 10:06, 12:18 – 17:12
रोहिणी
अष्टमी
22 दिसंबर
सोमवार
06:47 – 08:58, 11:11 – 16:14
मघा
त्रयोदशी
29 दिसंबर
सोमवार
07:28 – 11:53, 14:08 – 17:58
स्वाति
पंचमी
कर्णवेध के लाभ:
स्वास्थ्य लाभ: ऐसा माना जाता है कि कर्णवेध से बच्चों के सुनने की क्षमता में सुधार होता है और यह विभिन्न कान संबंधित समस्याओं को रोकने में मदद करता है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: आयुर्वेद के अनुसार, कान के विशेष बिंदुओं पर छेदन करने से शरीर की ऊर्जा संतुलित रहती है और यह मस्तिष्क के विकास में सहायक होता है।
सौंदर्य और आभूषण: कर्णवेध के बाद कान में आभूषण पहनने की परंपरा है, जो सांस्कृतिक और सौंदर्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
संभावित हानियाँ:
संक्रमण का जोखिम: यदि कर्णवेध सही तरीके से या स्वच्छ उपकरणों से नहीं किया गया, तो संक्रमण का खतरा हो सकता है।
एलर्जी: कुछ लोगों को धातु या आभूषणों से एलर्जी हो सकती है, जिससे जलन या सूजन हो सकती है।
दर्द और असुविधा: कर्णवेध के दौरान या बाद में कुछ समय के लिए दर्द या असुविधा हो सकती है।
सुझाव:
कर्णवेध हमेशा अनुभवी और प्रशिक्षित व्यक्ति से ही करवाना चाहिए।
प्रक्रिया के बाद कान की उचित देखभाल और स्वच्छता का पालन करना आवश्यक है।
संक्रमण या अन्य समस्याओं के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।
कृपया ध्यान दें कि उपरोक्त मुहूर्त सामान्य मार्गदर्शन के लिए हैं। व्यक्तिगत कुंडली और स्थानीय पंचांग के अनुसार मुहूर्त में भिन्नता हो सकती है। अतः, किसी भी संस्कार से पहले योग्य ज्योतिषी से परामर्श करना उचित होगा।